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D’rorah
This quote is from a friend who lived in communist Germany. She cries when she …

memememe
wut m8?

Haemin Sunim
I now deem this quote a SERVRE problem!!

Diderot
Erreur d'orthographe : il n'y a pas d's à « leur » dans « leur …

Taylor Swift
What a polluting sow.

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रविकांत - अभ्यास
खादी ग्रामोद्योग हमारी ग्रामीण अर्थव्यस्था का एक महत्वपूर्ण अंग है । यह उद्योग जहां एक ओर हमारी राष्ट्रीयता की पुनीत भावनाओ से जुड़ा है और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम्य विकास की मौलिक विचारधारा को प्रतिबिम्बित करता है , वहीं गावों के लाखों निर्धन तथा निर्बल वर्गों के लोगो के लिए रोजगार का सर्वाधिक लोकप्रिय तथा सरल माध्यम है । खादी ग्रामोद्योग का व्यापक प्रसार कर तथा सम्पूर्ण ग्रामीण अंचल में इसका जाल बिछाकर बहुत बड़ी सीमा तक वर्तमान बेरोजगारी की समस्या का समाधान किया जा सकता है ।.

Ravikant - Story
In a small village, a little boy lived with his father and mother. He was the only son. The parents of the little boy were very depressed due to his bad temper. The boy used to get angry very soon and taunt others with his words. His bad temper made him use words that hurt others. He scolded kids, neighbours and even his friends due to anger. His friends and neighbours avoided him, and his parents were really worried about him.

रविकांत - इन्द्र की पोशाक
एक सीधे-साधे सरल स्वाभाव के राजा थे । उनके पास एक आदमी आया जो बहुत होशियार था उसने राजा से कहा कि अन्नदाता ! आप देश की पोशाक पहनते हो । परन्तु आप राजा हो , आपको तो इन्द्र की पोशाक पहननी चाहिए राजा बोला इंद्र की पोशाक ? वह आदमी बोला हाँ आप स्वीकार करो तो हम लाकर देदें । राजा बोला अच्छा ले आओ । हम इंद्र की पोशाक पहनेंगे । पहले आप एक लाख रुपये देदे वह आदमी बोला , बाकी रुपये बाद मे दे दें , तभी इंद्र की पोशाक आयेगी । राजन ने रुपये दे दिये । दूसरे दिन वह आदमी एक बहुत बढ़िया चमचमाता हुआ.

रविकांत - बुद्धिमान खरगोश
एक वन में भारसुक नामक एक सिंह रहता था । वह अत्यंत शक्तिशाली था। वह बल के मद में वन्य-पशुओ का अकारण ही वध किया करता था। बहाना क्षुधा- पूर्ती का बनाता था। बलशाली की क्षुधा भी उसके बल के समान ही बड़ी होती है। भारसुक ही जैसे -जैसे बलवान बनता जा रहा था, उसका अत्याचार भी बढ़ता जा रहा था। उससे पीड़ित वन्य पशुओ नें आपस में विचार करने का निर्णय लिया कि सिंह को प्रतिदिन एक पशु भोजन के लिए दिया जाए, इससे व्यर्थ नें संहार तो ना हो।.